60 से 70 बार पढ़ी बार ‘ग्यारह-ग्यारह’ की स्क्रिप्ट:सीरीज के लिए राघव जुयाल ने उत्तराखंड की लोकल भाषा भी सीखी
एक्टर राघव जुयाल जल्द ही वेब सीरीज ‘ग्यारह-ग्यारह’ में दिखाई देंगे। इसमें उनके साथ धैर्य करवा और कृतिका कामरा भी हैं। ये सीरीज 9 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज होगी। राघव ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। ‘किल’ की शूटिंग के दौरान दिया था इस सीरीज का ऑडिशन
फिल्म ‘किल’ की शूटिंग के दौरान ही मैंने ‘ग्यारह-ग्यारह’ सीरीज के लिए ऑडिशन दिया था। यह ऑडिशन काफी दिलचस्प था। मेकर्स को मेरी परफॉर्मेंस पसंद आई और कुछ दिनों बाद मुझे काॅल आया कि मैं इस रोल के लिए सिलेक्ट हो गया हूं। सीरीज में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहा हूं
यह सीरीज किरदारों के अतीत पर नजर डालती है। अपने किरदार की बात करूं तो यह मुझे काफी दिलचस्प लगा और जब मैंने किरदार को पढ़ा तो खुद के बारे में कई नई चीजें समझ आईं। मैं एक पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहा हूं और सीरीज में कई ऐसे मौके आते हैं, जहां मेरे किरदार को खुद पर ही संदेह होता है। वो बार-बार आत्मचिंतन करता है। तो कुल-मिलाकर यह किरदार मेरे लिए नया अनुभव रहा है। मार्केटिंग से फर्क नहीं पड़ता, कहानी मजबूत होनी चाहिए
आज के समय में दर्शक काफी होशियार हो गए हैं। वे कहानी को महत्व देते हैं। उन्हें पब्लिसिटी या बज से मतलब नहीं है। अगर कहानी और काम में दम है, तो दर्शकों को यह पसंद आएगी। मुझे लगता है कि इस कहानी की खास बात है कि लोगों को यह बांधे रखेगी। वो जब एक बार इसे देखना शुरू करेंगे तो वे इसे बिंज वॉच भी कर सकते हैं। इस बात को लेकर मैं संतुष्ट हूं। होमटाउन में शूटिंग करके बचपन का सपना पूरा किया
हमने सीरीज की शूटिंग देहरादून, उत्तराखंड की अलग-अलग जगहों पर की है। मेरे लिए तो यह घर ही है तो मेरे लिए बहुत ही दिलचस्प और अलग एक्सपीरियंस रहा शूट का। बचपन से सपना था कि मैं कभी अपने घर पर कोई फिल्म शूट कर पाऊं, वो इस प्रोजेक्ट से पूरा हुआ। शूटिंग सर्दियों के मौसम में हुई थी। दो महीनों तक सिर्फ अपने किरदार पर काम किया
मैंने कम से कम 60 से 70 बार यह स्क्रिप्ट पढ़ी। जितनी बार भी पढ़ता था तो उसमें एक नया नजरिया मिला, मन में काफी सवाल भी रहते थे, जिसके लिए डायरेक्टर के साथ बैठना पड़ता था। मैंने अपने किरदार की रिदम पकड़ी, उसमें मुझे डेढ़ से दो महीना लगा। थोड़ा बहुत मैंने इसमें उत्तराखंडी भाषा का लहजा भी जोड़ा है। अभी मेरा पूरा ध्यान बेहतर कहानियों पर है
मेरा ध्यान फिलहाल फिल्मों पर ही है। इसके साथ अच्छी स्क्रिप्ट्स खोज रहा हूं, क्योंकि मैं एक्टिंग करना चाहता हूं। मैं दो नाव में पैर नहीं रख पाऊंगा। टीवी इंडस्ट्री के लिए मैं हमेशा उपलब्ध हूं। वो जब भी मुझे याद करेंगे, मैं मेहमान बनाकर चला जाऊंगा। लेकिन मुझे अभी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत सारा काम करना है।एक्टर राघव जुयाल जल्द ही वेब सीरीज ‘ग्यारह-ग्यारह’ में दिखाई देंगे। इसमें उनके साथ धैर्य करवा और कृतिका कामरा भी हैं। ये सीरीज 9 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज होगी। राघव ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। ‘किल’ की शूटिंग के दौरान दिया था इस सीरीज का ऑडिशन
फिल्म ‘किल’ की शूटिंग के दौरान ही मैंने ‘ग्यारह-ग्यारह’ सीरीज के लिए ऑडिशन दिया था। यह ऑडिशन काफी दिलचस्प था। मेकर्स को मेरी परफॉर्मेंस पसंद आई और कुछ दिनों बाद मुझे काॅल आया कि मैं इस रोल के लिए सिलेक्ट हो गया हूं। सीरीज में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहा हूं
यह सीरीज किरदारों के अतीत पर नजर डालती है। अपने किरदार की बात करूं तो यह मुझे काफी दिलचस्प लगा और जब मैंने किरदार को पढ़ा तो खुद के बारे में कई नई चीजें समझ आईं। मैं एक पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहा हूं और सीरीज में कई ऐसे मौके आते हैं, जहां मेरे किरदार को खुद पर ही संदेह होता है। वो बार-बार आत्मचिंतन करता है। तो कुल-मिलाकर यह किरदार मेरे लिए नया अनुभव रहा है। मार्केटिंग से फर्क नहीं पड़ता, कहानी मजबूत होनी चाहिए
आज के समय में दर्शक काफी होशियार हो गए हैं। वे कहानी को महत्व देते हैं। उन्हें पब्लिसिटी या बज से मतलब नहीं है। अगर कहानी और काम में दम है, तो दर्शकों को यह पसंद आएगी। मुझे लगता है कि इस कहानी की खास बात है कि लोगों को यह बांधे रखेगी। वो जब एक बार इसे देखना शुरू करेंगे तो वे इसे बिंज वॉच भी कर सकते हैं। इस बात को लेकर मैं संतुष्ट हूं। होमटाउन में शूटिंग करके बचपन का सपना पूरा किया
हमने सीरीज की शूटिंग देहरादून, उत्तराखंड की अलग-अलग जगहों पर की है। मेरे लिए तो यह घर ही है तो मेरे लिए बहुत ही दिलचस्प और अलग एक्सपीरियंस रहा शूट का। बचपन से सपना था कि मैं कभी अपने घर पर कोई फिल्म शूट कर पाऊं, वो इस प्रोजेक्ट से पूरा हुआ। शूटिंग सर्दियों के मौसम में हुई थी। दो महीनों तक सिर्फ अपने किरदार पर काम किया
मैंने कम से कम 60 से 70 बार यह स्क्रिप्ट पढ़ी। जितनी बार भी पढ़ता था तो उसमें एक नया नजरिया मिला, मन में काफी सवाल भी रहते थे, जिसके लिए डायरेक्टर के साथ बैठना पड़ता था। मैंने अपने किरदार की रिदम पकड़ी, उसमें मुझे डेढ़ से दो महीना लगा। थोड़ा बहुत मैंने इसमें उत्तराखंडी भाषा का लहजा भी जोड़ा है। अभी मेरा पूरा ध्यान बेहतर कहानियों पर है
मेरा ध्यान फिलहाल फिल्मों पर ही है। इसके साथ अच्छी स्क्रिप्ट्स खोज रहा हूं, क्योंकि मैं एक्टिंग करना चाहता हूं। मैं दो नाव में पैर नहीं रख पाऊंगा। टीवी इंडस्ट्री के लिए मैं हमेशा उपलब्ध हूं। वो जब भी मुझे याद करेंगे, मैं मेहमान बनाकर चला जाऊंगा। लेकिन मुझे अभी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत सारा काम करना है।Read More